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जीवन में कभी भी दिखावा ना करें ! क्यों ?

       जीवन में कभी भी दिखावा ना करें ! क्यों ?

एक बार की बात है कि किसी विभाग के एक अधिकारी को प्रोमोशन दिया गया, लेकिन वह स्वयं को अपने नये ओहदे के अनुसार ढाल नहीं पा रहा था। कारण जो भी हो, बहरहाल, मेरे हिसाब से उन्हें उस काम का तजुर्बा नहीं था। एक दिन वह अपने दफ्तर में बैठा था, तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया। अपनी व्यस्तता और महत्व दिखाने के लिए उसने फोन उठा लिया और उस आदमी को अंदर आने का इशारा किया।

वह आदमी अंदर आ कर काफी देर तक इंतजार करता रहा और उस दौरान वह अधिकारी सिर हिला-हिला कर फोन से बातें करता रहा। बीच-बीच में वह कहता जा रहा था, कि, "चिंता की कोई बात नहीं, मैं सब संभाल लूँगा।" कुछ देर बाद उसने फोन रखकर इंतजार कर रहे आदमी से आने का कारण पूछा। उस आदमी ने जवाब दिया, "सर, मैं आपका फोन कनैक्ट करने आया हूँ।"

दोस्तों ! अब जरा सोचिए कि यहाँ उस अधिकारी का सम्मान बढ़ा या घटा। मेरा विश्वास है कि इसका जवाब आपके पास निश्चित रूप से है। तो, दिखावा क्यों करें? हम क्या साबित करना चाहते है? हम क्या हासिल करना चाहते है? हमें झूठ बोलने की जरुरत क्यों महसूस होती है? हम झूठे महत्व का अहसास क्यों करना चाहते है? इस तरह का व्यवहार असुरक्षा और घटिया दर्जे के आत्मसम्मान से जन्म लेता है।

हमारे चरित्र का आँकलन उन सभी बातों से होता है, जिन्हें हम करते या नहीं करते है, पसंद करते या नापसंद करते है। हमारे चरित्र का पता इन बातों से लगता है कि:- हम कैसे लोगों के साथ रहते है या कैसे लोगों की सोहबत से बचते है। हम दूसरे लोगों, खास तौर पर अपने जरूरतमंदों, बुजुर्गों, और अपाहिजों के साथ कैसा व्यवहार करते है। हम कैसी किताबें, फिल्में और संगीत पसंद करते है। हम किस तरह के मज़ाक पसंद करते है या किस तरह के मज़ाको पर हमें हँसी आती है।

वास्तविकता तो यही है कि हर काम से हमारा चरित्र ज़ाहिर हो जाता है, तो दिखावा क्यों ? मेरा मानना है कि यदि किसी इंसान में दृढ़ विश्वास, संवेदनशीलता और सहयोग की भावना है, तो वह इंसान अपनी कोशिशों से दूसरे लोगों को भी प्रेरित कर सकता है। और ऐसा इंसान खुद-ब-खुद सम्मान पाने योग्य बन जाता है।

दोस्तों !,, हम अपने बारे में जिस ढंग से सोचते है, वही हमारा आत्मसम्मान है और हमारे मन में खुद को जैसा देखते है, वही हमारी आत्मछवि है। हम जब खुद के बारे अच्छा महसूस करते है, तो पूरी दुनिया अच्छी लगने लगती है। और हमारी उत्पादकता बढ़ जाती है, साथ ही साथ रिश्ते और बेहतर हो जाती है। इसलिए जीवन में दिखावा जैसी विनाशकारी आदतों से बचे रहिये और एक उत्कृष्ट मानव बनने का प्रयास करें।


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