ज़िन्दगी के सफर में कभी स्वार्थी और लालची न बनें !
दोस्तों !,, स्वार्थी और लालची लोग, दूसरों के हितों की परवाह किये बिना आगे बढ़ने की सोच रखते है। ऐसे लोग हमेशा और अधिक पाने की चाह रखता है। शायद, वे भूल जाते है कि जरूरतें पूरी की जा सकती है, लेकिन लालच नहीं। लालच और स्वार्थ आत्मसम्मान की कमी के कारण उत्पन्न होती है। लालच दिमाग का कैंसर है। क्योंकि ये रिश्तों को नष्ट तो करता ही है साथ-साथ स्वयं उस इंसान का भी विनाश कर देता है।
आज फिर मैं एक छोटी सी कहानी बताना चाहूँगा। किसी गाँव के एक जमीनदार ने एक लालची किसान से कहा कि वह दिन भर में जितनी ज़मीन पर चलेगा, उतनी ज़मीन उसकी हो जाएगी। लेकिन एक शर्त भी था कि वह सूरज डूबने तक फिर उसी शुरूआती स्थान पर लौट आए। अगले दिन वह किसान अधिक से अधिक ज़मीन पाने के चक्कर में सूरज निकलने से पहले ही निकल पड़ा। वह काफी तेजी से चल रहा था, ताकि उसे अधिक से अधिक जमीन मिल सके। वह थकने के बावजूद भी पूरी दोपहर चलता रहा। क्योंकि इतना हासिल करने का मौका वह गँवाना नहीं चाहता था।
अब दिन ढलते समय उसे वह शर्त याद आया कि उसे सूरज ढलने से पहले शुरुआत वाली स्थान पर पहुँचना है। वह किसान अपनी लालच की वजह से उस स्थान से काफी दूर निकल चुका था। वह वापस लौट पड़ा। सूरज ढलने का समय ज्यों-ज्यों करीब आ रहा था, वह उतनी ही तेजी से दौड़ता जा रहा था। वह बुरी तरह थकने के बावजूद भी हाँफते हुए और अधिक तेज दौड़ता रहा। नतीजा यह हुआ कि सूरज डूबते-डूबते वह शुरुआत वाले स्थान पर पहुँच तो गया, पर उसका तबतक दम निकल गया, और उसकी मृत्यु हो गयी। उसको दफना दिया गया, और उसे दफ़न करने के लिए ज़मीन के मात्र एक छोटे से टुकड़े की ही जरुरत पड़ी।
प्रिय दोस्तों !,,, इस कहानी से हमें इतना तो सबक जरूर मिल गया कि कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह किसान अमीर था या गरीब। लेकिन किसी भी लालची इंसान का परिणाम ऐसा ही होता है। इसलिए हमें लक्ष्य के निर्धारण में स्वार्थ एवम लालच के स्थान को रिक्त ही रखना चाहिए।
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