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हमारे विचारों पर भी टैक्स लगता!तो!

    
हमारे विचारों पर भी टैक्स लगता!तो!
यदि ऊपर वाले की दुनिया बनाने वाली कमिटी का मैं हिस्सा होता तो विचारों पर निश्चित रूप से टैक्स लगा देता। प्रत्येक इंसान को विचार करने की कीमत देनी होती। हर अच्छे पर भी आपके अकाऊंट से कुछ निकल जाता और हर बुरे विचार पर भी।

मैं यकीन से कह सकता हूँ कि दुनिया उसके बाद ज्यादा खुशगवार होती। हर इंसान योजना बनाकर सोचता, और सिर्फ अच्छा सोचता। हर व्यक्ति जलन, हीनता, निराशा, हताशा, नकारात्मकता आदि के विचारों से दूर रहता क्योंकि इन अनुत्पादक विचारों पर भी शुल्क लगता। धीरे-धीरे इंसान सोचता कि यदि पैसा खर्च करना ही है, तो बुरा सोचने में क्यों करें।

दोस्तों !,, यदि आप मानसिक रूप से सामान्य है, तो यह संभव नहीं है कि आपको अच्छे और बुरे विचारों में फर्क मालूम ना हों। सभी हीन विचार और श्रेष्ठ विचारों में फर्क जानते हैं। समृद्धि और गरीबी के विचारों में फर्क जानते हैं। सदाचार और दुराचार में फर्क जानते हैं। ऊर्जा और आलस्य के विचारों में फर्क जानते हैं।

मुश्किल यह हैं कि हम अपने विचारों पर ध्यान नहीं देते। यदि हम जानते भी हैं कि कहाँ गलती कर रहे हैं, तो हम सच का सामना नहीं करना चाहते। चूँकि हम विचारों पर नियंत्रण नहीं रखते, इसलिये अनचाहे विचार भी हमें घेर कर प्रभावित कर देते हैं।

मेरा अनुभव कहता है कि इंसान को घटिया और संकुचित सोच की कीमत आज भी चुकानी पड़ती है। भले ही अकाऊंट से तुरंत पैसे नहीं निकलते हो, लेकिन नकारात्मक सोंच से जीवन से सुख और समृद्धि का अकाऊंट कम होता चला जाता है। हम कारणों को सीधा समझ नहीं पाते, लेकिन उसका मूल कारण हमारी सोच होती है।


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