हम आज क्या है ? इसके जिम्मेवार खुद है, कैसे ?
भाग्य केवल संयोग पर निर्भर नहीं होता, बल्कि हम उसे अपने लिए चुनते हैं। वह इंतजार करने की नहीं, बल्कि हासिल करने की चीज है। दोस्तों !,, यहाँ दोनों बातें एक दूसरे का विरोध करती है। यदि जिंदगी चुनावों से भरी है, तो समझौता का सवाल कहाँ उठता है ? यक़ीनन, समझौता भी एक चुनाव है। तो चलिए आज इसी विषय पर मंथन करते है।,,,
अब जरा सोचिए, जब हम अधिक खाना खाते है, तो अपना वजन बढ़ाने का चुनाव स्वयं करते है। जब हम अधिक शराब पीते है, तो दूसरे दिन सिर दर्द पा लेने का चुनाव हमारा अपना होता है। यदि हम शराब पीकर गाड़ी चलाते है, तो दुर्घटना में स्वयं को, या किसी और को मार देने का खतरा स्वयं चुनते है।
जब हम दूसरों के साथ बुरा व्यवहार करते है, तो इस बात का चुनाव हम स्वयं करते है कि दूसरे भी हमारे साथ बुरा व्यवहार करें। जब हम दुसरों की परवाह नहीं करते है, तो यह चुनाव हम स्वयं करते है कि दूसरे भी हमारी परवाह न करें।
दोस्तों ! ये तो तय है कि हर चुनाव का एक एक नतीजा भी होता है। हम चुनाव करने के लिए तो स्वतंत्र होते है, परन्तु उसके बाद वह चुनाव हमें नियंत्रित करने लगता है। दूसरों से कुछ अलग बनने के लिए हम सबके पास बराबर का मौका होता है। जिंदगी की तुलना गीली मिट्टी से की जा सकती है। जिस तरह कुम्हार गीली मिट्टी को मनचाहा शक्ल में ढाल सकता है, उसी प्रकार हम भी अपनी जिंदगी को मनचाहा रूप दे सकते है। इसलिए यह भी बात शत प्रतिशत सत्य है कि हम अपनी भाग्य विधाता स्वयं है। अर्थात आज हमारी परिस्थिति जो भी हो उसके जिम्मेवार हम खुद है।,,,
Absolutely right
ReplyDeleteAbsolutely right
ReplyDeleteWelcome,,,,💐💐💐
ReplyDelete