Rh factor क्या है ?
हम सभी जानते है कि पूरी दुनिया में 4 प्रकार के रक्त समूह(Blood group) वाले व्यक्ति होते है। O, A, B, तथा AB रक्त समूह। परन्तु जब हम अपना blood group जाँच करवाते है, तो इन रक्त समूहों के साथ-साथ +ve अथवा -ve लिखा जाता है। दोस्तों ! वास्तव में यही +ve या -ve चिन्ह Rh factor को दर्शाता है। यहाँ +ve का अर्थ Rh factor की उपस्थिति एवं -ve का अर्थ अनुपस्थिति होता है।
सर्वप्रथम Landsteiner और Wiener ने 1940 में Rhesus mucaca नामक बन्दर में एक विशेष प्रकार के प्रोटीन के रूप में Rh factor की खोज की। जो Antigen से सम्बंधित होता है। इसलिए इस Antigen का नाम उसी बन्दर के नाम पर Rh factor रखा गया।
जिस व्यक्ति के रक्त में यह प्रोटीन नहीं पाया जाता है, उन्हें Rh-ve कहते है। तथा जिनके रक्त में यह प्रोटीन पाया जाता है, उन्हें Rh+ve कहा जाता है। इससे यह बात भी सिद्ध होता है कि जैव विकास के क्रम में बन्दर ही हमारे पूर्वज थे।
एक बात का अवश्य ख्याल रखें कि किसी व्यक्ति के साथ रक्त की लेन-देन में Rh+रक्त वाले व्यक्ति, Rh+ वाले व्यक्ति को ही रक्त दे सकते है अथवा उनसे ले सकते है। इसी प्रकार Rh- वाले भी Rh- वाले व्यक्ति से रक्त लेन-देन करेंगे। अर्थात विपरीत Rh factor वाले व्यक्तियों के बीच रक्त का लेन-देन नहीं होना चाहिए। क्योंकि ऐसी परिस्थिति जानलेवा हो सकती है।
यदि पिता का रक्त Rh+ हो तथा माता का भी रक्त Rh+ हो तो प्रथम संतान सामान्य होगी, परन्तु उसके बाद जन्म लेने वाले शिशु की जन्म से पहले गर्भावस्था में अथवा जन्म के तुरंत बाद मृत्यु हो जाती है।
आगे पढे : सीलिएक रोग क्या है ?
For Bio students...
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