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अंतरात्मा की तृप्ति ! कैसे ?

  

अंतरात्मा की तृप्ति ! कैसे ?



वर्तमान में हम सभी कुछ बड़ा करने के चक्कर में दिन-रात बेचैन रहने लगे है, हमारी मन की तृष्णा बढ़ती ही जा रही है। कुछ और बेहतर हो जाए, इस चक्कर में हम अपनी छोटी-छोटी जिम्मेदारियों को निभाना भूल गए है। जबकि, दोस्तों, वास्तव में जीवन खुशी इन्ही छोटी जिम्मेदारियों को निभाने से मिलती है।

बीते दिनों की एक सच्ची कहानी सुनिये,,,,,,

चार्ल्स प्लम्ब नाम के एक बहादुर पायलट का विमान 70 लड़ाइयों के बाद वियतनाम मिशन में नष्ट हो गया लेकिन भाग्यवश पैराशूट की मदद से चार्ल्स प्लम्ब बच गए। एक शाम रेस्टोरेन्ट में चार्ल्स प्लम्ब से एक व्यक्ति ने पूछा - सर, क्या दुर्घटना के दौरान आपका पैराशूट ठीक से खुला था ?

चार्ल्स प्लम्ब ने चकित होकर पूछा - तुम यह कैसे जानते हो ? उसने कहा- सर, मैं छोटा सा कर्मचारी हूँ, आपका पैराशूट एयरबेस पर रोज मैं ही पैक करता था। विनम्रता से यह कहकर वह चला गया।

चार्ल्स प्लम्ब हतप्रभ रह गए क्योकि उन्होंने कभी इस पैराशूट पैक करने वाले व्यक्ति को महत्व नहीं दिया। यहाँ तक कि प्लम्ब को उसकी शक्ल भी याद नहीं थी। आज प्लम्ब कहते है कि आपकी जिंदगी में अनेक सामान्य लोग हर दिन महत्वपूर्ण योगदान देते है, उन्हें दिल से महत्व दीजिए। आप किसी भी मुकाम पर हो, मगर उन्हें मत भूलिए जिन्होंने आपकी जिंदगी का छोटा- बड़ा पैराशूट पैक किया हो, अर्थात जो आपके काम आए हों।

खास लोगों को तो सभी शुक्रिया कहते है, परंतु आप कभी ड्राइवर, कभी माली, कभी गार्ड, कभी छोटे ऑफिस स्टाफ, हर दिन किसी एक व्यक्ति को दिल से शुक्रिया कहकर देखिए। उनके चेहरे की ख़ुशी देखकर आपकी अंतरात्मा तृप्त हो जाएगी। ,,,,


आगे पढे : वर्तमान को जी भरके जियो ! और हमेशा खुश रहो !

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