तय करें ! आप किस श्रेणी के है ?
दोस्तों, आपको ईमानदारी से सोचना है कि आज आप किस श्रेणी में है और भविष्य में स्वयं को किस श्रेणी में पाना चाहते हैं। सिर्फ सोचने से ही कुछ नहीं होगा, इसके लिये ठोस योजना के साथ कार्य करना होगा।,,,,
महाराष्ट्र में किसी गाँव के एक ही परिवार के तीन सगे भाइयों ने पढाई के बाद नौकरी के लिए शहर का रुख किया। संयोगवश उनकी नौकरी एक ही कंपनी में लग गई।
विदेश में नौकरी करने वाले उनके पिता जब दो वर्ष बाद वापस घर लौटे तो पुत्रो की तरक्की देखकर बेहद खुश हुए। उन्होंने तीनो पुत्रों से उनकी तनख्वाह पूछी। बड़े ने कहा 30 हजार, मंझले ने कहा 40 हजार और सबसे छोटा ने कहा 60 हजार। पिता चकित रह गए क्योंकि एक जैसी डिग्री और एक ही कंपनी में नौकरी के बाद भी तनख्वाह में बेहद फर्क था।
पिता अगले दिन कंपनी के प्रमुख से मिले और इसका कारण पूछा। प्रमुख ने पिता से कहा कि वो उनके साथ बैठकर स्वयं देखे। कंपनी प्रमुख ने बड़े पुत्र को बुलाया और कहा- पास ही समुद्र तट पर एक जहाज में कुछ माल है, जिसकी नीलामी होने जा रही है। तुरंत पता करो, क्या माल है और क्या कुछ लाभ का सौदा हो सकता है। यही कार्य अन्य दोनों भाइयों को भी सौंपा।
सबसे बड़ा भाई 10 मिनट में लौटकर चला आया। उसने जानकारी दी कि जहाज में कपड़ा और कुछ इलेक्ट्रॉनिक सामान है। प्रमुख ने पूछा- यह कैसे पता चला। बड़े भाई ने कहा- किसी परिचित से फोन करके पूछा है।
मंझला भाई लगभग दो घंटे बाद लौटकर आया। उसने बताया कि जहाज में 100 टीवी है, लगभग 10 हजार मीटर कपड़ा है और 500 कंप्यूटर हैं। प्रमुख ने पूछा - कपड़ा किस क्वालिटी का है तथा टीवी और कंप्यूटर किस कंपनी का है। मंझले भाई ने जवाब दिया, इतनी बारीक जानकारी पूछने के लिए आपने कहा नहीं, इसलिए मैंने पूछा नहीं।
सबसे छोटा भाई शाम को लौटा। उसने बताया - बॉस, जहाज में 100 टीवी है, जिसमे से 80 नये और 20 पुराने है। और लगभग 10 हजार मीटर ऊँचे दर्जे का सिल्क कपड़ा है। मैंने कुछ कपड़ा व्यापारियों से बात की है, वो हमें अच्छे भाव देने को तैयार है। 500 जापानी कंप्यूटर है और पूरे नये है। मैं कुछ कंप्यूटर वालों को साथ ले गया था, वो लोग कंप्यूटर हमसे ले लेंगे। हमारा पूरा माल निकल जाएगा। मैंने खरीद और बिक्री का हिसाब लगा लिया है,, इस सौदे में 10 लाख का मुनाफा है। बेचने वाले और खरीदने वाले दोनों तैयार है। आप कहें तो डील फाइनल करता हूँ।
इतना कहते ही प्रमुख ने मुस्कुरा कर पिता की ओर देखा। वही बैठे पिता को अपना उत्तर मिल चुका था कि क्यों उनकी तनख्वाह में इतना फर्क है।
सच तो यह है कि दुनिया में अधिकांश लोग पहली श्रेणी के होते है, उसके बाद दूसरी श्रेणी और बहुत ही कम संख्या में लोग तीसरी श्रेणी में होते हैं। इसलिए तीसरी श्रेणी की हर तरफ माँग होती है। यदि आप पहली श्रेणी में है तो जबरदस्त बदलाव और मेहनत की आवश्यकता है। आप द्वितीय श्रेणी में है तो सामान्य जीवन जी सकते है लेकिन आप मेहनत करके तीसरी श्रेणी में पहुँच सकते है। यह चुनाव आपके हाथ में है।
अगर आपको जीवन में सब कुछ हासिल करना है तो किसी भी किम्मत पर तीसरी श्रेणी का हिस्सा बनना ही पड़ेगा।
आगे पढे : निरंतर अपने कर्तव्यों पर डटे रहें ।
लजाबाब
ReplyDeleteWelcome💐💐💐
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