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जीवन की उत्पत्ति में रासायनिक विकास के प्रथम एवं द्वितीय चरण क्या है ?

    जीवन की उत्पत्ति में रासायनिक विकास के प्रथम एवं द्वितीय चरण क्या है ?

जीवन की उत्पत्ति के विभिन्न चरणों को अध्ययन में सरलता के दृष्टिकोण से दो प्रमुख भागों में बाँटा गया है :- रासायनिक विकास एवं जैव विकास।

रासायनिक विकास के भी चार चरण है जिनमें से आज हमलोग पहले दो चरणों को समझेंगे।

1. पहला चरण :- मूल रूप से साधारण अणुओं के निर्माण को ही पहला चरण कहा गया है। इसके अनुसार :- पृथ्वी के वायुमंडल में उपस्थित हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन तथा नाइट्रोजन जैसे हल्के परमाणुओं के परस्पर संयोग से जल, अमोनिया तथा मीथेन जैसे साधारण यौगिकों का निर्माण हुआ।

प्रारंभ में पृथ्वी का तापमान अधिक होने के कारण ये यौगिक गैसीय अवस्था में ही रहे। परन्तु कालान्तर में पृथ्वी का तापमान कम होने के कारण गहरे बादलों का निर्माण हुआ और लगातार वर्षा के फलस्वरूप, संपूर्ण भूमि जलमग्न हो गई एवं समुद्रों का निर्माण हुआ।

लगातार वर्षा के कारण वायुमंडल में उपस्थित अमोनिया तथा मीथेन समुद्र के जल में घुल गई। वैज्ञानिकों का यह अनुमान है कि प्रथम जीव की उत्पत्ति समुद्र में इन्ही यौगिकों के संश्लेषण से हुई।

2. द्वितीय चरण :- इस चरण को कार्बनिक अणुओं का निर्माण कहा गया। इस चरण के अनुसार :- मीथेन के साथ अन्य यौगिकों के संयोग से Nucleotides एवं अन्य कार्बनिक यौगिकों का निर्माण हुआ। जिन कार्बनिक यौगिकों का प्रारंभिक समुद्र में निर्माण हुआ उन्होंने जीवों की उत्पत्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ये विभिन्न प्रकार के Sugar, Glycerine, Fatty acid, Amino acid, Pyrimidine एवं Purine थे।

सूर्य एवं आकाशीय विद्युत से प्राप्त ऊर्जा तथा परस्पर घर्षण के कारण वायु में परमाणुओं के मध्य रासायनिक क्रियाएँ हुई , इसके परिणामस्वरूप अमोनिया एवं अन्य यौगिकों का निर्माण हुआ।


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