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कामयाबी हासिल करनी है, तो पहले तपना सीखें!


कामयाबी हासिल करनी है, तो पहले तपना सीखें!
आजकल अधिकांश छात्र कोर्स में से सिर्फ वो हिस्सा पढ़ना चाहते हैं, जिनमें से प्रश्न आते हैं। ऐक्ट्रेस एक्टिंग की बजाय अंग प्रदर्शन करके रोल पाना चाहती हैं। पीएचडी का छात्र रिसर्च में वक़्त लगाने की बजाय गाइड की सेवा करता है। उद्योग नये उत्पाद का सृजन करने की जगह नकल में ज्यादा रूचि रखते हैं। मेहनत करने का, या तो दम गायब हो गया है, या इच्छा नहीं रही।

एक बार की बात है कि , एक युवा, एक मूर्तिकार के पास मूर्ति बनाने की कला सीखने गया। मूर्तिकार ने कला सिखाने के लिये सहमति दी और अगले दिन आने को कहा। अगले दिन मूर्तिकार ने उसे एक मार्बल का टुकड़ा पकड़ाया और मूर्ति बनाने में जुट गया। शाम तक उस युवा को और कोई कार्य नहीं दिया गया। वह युवा केवल उस टुकड़े को पकड़े रहा। अब हर रोज यही होने लगा। वो पहुँचता तो उसे मूर्तिकार पत्थर का टुकड़ा देकर कहता- लो मार्बल पकड़ो। यह कहकर फिर अपने काम में जुट जाता।

सातवें दिन उस युवा ने निर्णय लिया कि अब यह और नहीं चलेगा। उसे इस बात पर काफी अफसोस और आक्रोश था कि सात दिन होने को आये, लेकिन मूर्तिकार ने उसे कुछ नहीं सिखाया।

वह काम छोड़ने की इच्छा से मूर्तिकार के पास सातवें दिन जाकर बैठा। "मुझे अब और नहीं सीखना है", यह बात वह मूर्तिकार से कहने ही जा रहा था, इतने में मूर्तिकार ने उसे पत्थर का टुकड़ा देकर कहा - लो, मार्बल पकड़ो।,,,,,,, जैसे ही उसने वह टुकड़ा हर दिन की तरह हाथ में लिया तो उसके मुँह से निकला - यह मार्बल नहीं है, यह कोई और पत्थर है। उसका इतना कहना था कि उसके गुरु ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुमने पहला चरण पास कर लिया है"। वो यह जानकर हैरान रह गया कि इतने दिनों से अनजाने में उसे पत्थर की पहचान सिखाई जा रही थी।

दोस्तों,, सात दिन तक वह मूर्तिकार उसे पत्थर की पहचान से वाकिफ कराता रहा, शायद सिखाने का यही तरीका होता है।,,,,,,,, हर चीज सिर्फ तब तक कठिन लगती है, जब तक वह सरल नहीं हो जाती।

जब तक आप किसी उपलब्धि हेतु तपने को तैयार ना हो, उसके लिये आवश्यक परिश्रम करने को तैयार ना हो, तब तक वो उपलब्धि आपको क्यों मिलनी चाहिये,,, जीवन में जब चीजें सरलता से मिल जाए तो उनका हम मूल्य नहीं समझते। जिस उपलब्धि को पाने के लिये हमें संघर्ष करना पड़े, असल महत्व वही रखती है।

जिस प्रकार तपे बिना मोमबत्ती रोशनी नहीं देती, तपे बिना सोना जेवर नहीं बनती, तपे बिना कोयला हीरा नहीं बनता, तपे बिना खेत अनाज नहीं देते, तपे बिना लोहा आकार नहीं लेता, उसी तरह तपे बिना आम आदमी खास नहीं बनता।।।,,,



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