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सोचेंगे नहीं ! तो, सीखेंगे कैसे ?


सोचेंगे नहीं ! तो, सीखेंगे कैसे ?

दुनिया का कोई भी इंसान अगर चाहें तो हर जगह और हर पल कुछ न कुछ जीवन में सीख सकता है। बशर्ते उन्हें घटनाओं पर सोचना होगा। और सोचने के साथ-साथ अपनी नज़रियों में बदलाव लाना होगा। यहाँ एक छोटी सी कहानी बताऊंगा और आपको अपनी नज़रिया से सोचकर यह बताना है कि आपने इस कहानी से क्या सीखा ?

किसी मेले में एक आदमी गुब्बारे बेच रहा था। उसके पास लाल, नीले, पीले, हरे और इसके अलावे भी कई रंगों के गुब्बारे थे। जब उसकी बिक्री कम होने लगती तो वह हीलियम गैस से भरा एक गुब्बारा हवा में उड़ा देता। बच्चे जब उस उड़ते गुब्बारे को देखता, तो वैसा ही गुब्बारा पाने के लिए बच्चों की भीड़ लग जाते थे। और उस आदमी की बिक्री फिर बढ़ने लगती थी। उस आदमी की बिक्री जब भी घटती , वह उसे बढ़ाने के लिए गुब्बारे उड़ाने का यही तरीका अपनाता था। और वह लगातार मजे से गुब्बारे बेचे जा रहा था।

अचानक गुब्बारे बेचने के क्रम में ही उस गुब्बारे वाले को महसूस हुआ कि कोई उसके जैकेट को खींच रहा है। उसने पलट कर देखा तो वहाँ एक बच्चा खड़ा था। बच्चे ने उससे पूछा,, अगर आप हवा में किसी काले गुब्बारे को छोड़े , तो क्या वह भी उड़ेगा ? इस सवाल ने गुब्बारे वाले के मन को छू लिया। बच्चे की ओर झुक कर जवाब दिया:- बेटा, हाँ उड़ेगा, क्योकि गुब्बारे अपने रंग की वजह से नहीं, बल्कि उसके अंदर भरी चीज की वजह से उड़ता है।

दोस्तों ! ,, अब आप अपनी नजरिये से सोच कर बताइए कि इस कहानी से क्या सीख मिला ?

चलिये मैं बताता हूँ कि हमने क्या सीखा ? हमें इस छोटी सी कहानी से दो सीख मिलती है। पहला यह कि :- अपनी व्यवसाय को बढ़ाने के लिए थोड़ी सी खर्च समय-समय पर पब्लिसिटी के लिये प्रचार-प्रसार पर भी निश्चित रूप से करनी चाहिए। और दूसरा यह कि :- कोई भी इंसान अपने जीवन में रूप-रंग और सौन्दर्य के कारण तरक्की नहीं पाता, बल्कि वह अपने गुण और हुनर के कारण उचाईयों की बुलंदियों को हासिल करता है। इसलिए हमारी पीढ़ी की सबसे बड़ी खोज यह है कि इंसान अपना नज़रिया बदलकर अपनी जिंदगी को बेहतर बना सकता है।,,,,,,

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