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इंसानों के जीवन की कड़वी सच्चाई क्या हैं ?

       

इंसानों के जीवन की कड़वी सच्चाई क्या हैं ?



दोस्तों,,, आज के परिवेश में सच्चाई यह है कि हमारे आस पास की दुनिया में जितनी घटनाएँ घट रही हैं, उन पर सोचने के लिए वक्त की कोई कमी नहीं होती। लेकिन उसके विपरीत हमारे अंतर्मन में, हमारी मनोदशा में क्या हो रहा है, यह सोचने के लिए वक्त की कमी होती है। ये इसलिए भी होता है, क्योंकि एकांत में बैठने की हमें आदत नहीं होती, और हम आत्मनिरीक्षण को महत्वपूर्ण नहीं समझते है। जबकि सफल लोगों का प्रथम सिद्धांत "आत्मनिरीक्षण" हमें स्वयं पर ध्यान देने को प्रेरित करता है।

आत्मनिरीक्षण के दौरान मैं जब विचारों को बेतरतीब तरीको से इधर-उधर भागते देखता हूँ, व्यर्थ की इच्छाएँ करते देखता हूँ तो ईश्वर का आभार व्यक्त करता हूँ कि:- हे ईश्वर, मैं तुम्हारा ऋणी हूँ कि तुमने मेरी हर इच्छा को पूरा नहीं किया। आज जब मैं जिंदगी के पन्ने पलटकर अपनी इच्छाओं पर नजर डालता हूँ तो मन यह सोच कर घबड़ा जाता है कि यदि वो सब का सब पूरी हो जाती तो कितना अनर्थ हो जाता।

इसलिए सोच के निरीक्षण के दौरान अपने कार्यों और आदतों का भी निरीक्षण करना जरुरी है। लोगों को ऐसा लगता है कि वो अपने समय का समूचित उपयोग करते हैं लेकिन आत्मनिरीक्षण के बाद उन्हें सच्चाई का पता चलता है कि वे काफी समय अनावश्यक कार्यों में व्यतीत करते हैं।

आमतौर पर सभी को यह लगता है कि वे हमेशा अपने लक्ष्य पर चलते हैं, लेकिन जब वे आत्मनिरीक्षण करते हैं तो पता चलता है कि उनकी प्राथमिकताओं में गड़बड़ी है। वे गैर जरूरी कार्यों को प्राथमिकता दे देते हैं, उसकी वजह से जरुरी कार्य पीछे रह जाती है। ,,, यहाँ रहस्य दो प्रकार के हो सकते है, पहला, जो आप अन्य लोगों से छुपाते है,, और दूसरा, जो आप खुद से छुपाते हैं। आत्मनिरीक्षण के दौरान दोनों ही रहस्यों से आपका सामना होता है।

दोस्तों,,, आत्मनिरीक्षण आपकी आदतों से आपका परिचय कराता है। और अपनी आदतों पर गौर करने के बाद, आपको, आगे के आयामों में उन्हें सुधारने का अवसर प्रदान करता है।,,,


आगे पढे : बड़े लोगों की बड़ी सोंच ।

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