हम लक्ष्य तक क्यों नहीं पहुँच पाते है ?
दोस्तों !,,, क्या आपने कभी विचार किया है कि कुछ लोग अपने निर्धारित लक्ष्य तक क्यों नहीं पहुँच पाते है ? उन्हें बार-बार हार का सामना क्यों करना पड़ता है ? कुछ लोगों को लगातार सफलता क्यों मिलती जाती है, जबकि कुछ लोगों को अंतहीन असफलताएँ झेलनी पड़ती है ? यहाँ विचारोपरान्त एक ही जवाब मिलता है कि :- दुनिया के किसी भी क्षेत्र में कोई भी इंसान कभी भी अनुशासन के बिना महत्वपूर्ण सफलता हासिल नहीं कर सका हैं।
अनुशासनहीन व्यक्ति हर काम को करने की कोशिश तो करते हैं, लेकिन उनमें काम को करने का संकल्प नहीं होता है। कुछ अपरिपक्व चिंतकों ने अनुशासनहीनता को स्वतंत्रता माना है। लेकिन किसी विमान में बैठते समय आप यही चाहेंगे कि उसका पायलट अनुशासित हो। वह उन कामों को करे, जिनकी उससे उम्मीद की जाती है, न की वह अपने मन के मुताबिक काम करे। आप कभी नहीं चाहेंगे कि विमान कोई ऐसा पायलट चलाये, जो यह सोच रखता हो कि "मैं आजाद हूँ और मैं नहीं चाहता कि कोई मुझे कंट्रोल टावर से बताए कि मुझे क्या करना है।"
लगातार कोशिश की कमी अनुशासन की कमी का नतीजा होता है। अनुशासित रहने के लिए आत्मनियंत्रण एवं त्याग की आवश्यकता होती है। और भटकाव तथा लालच से बचना पड़ता है। अर्थात, हम अपने लक्ष्य पर निरंतर ध्यान लगाएँ। भाप, एक इंजन को तब तक नहीं खींच सकती, जब तक उसे एक दायरे में सीमित न कर दिया जाए। झरने से बिजली तब तक नहीं बनाई जा सकती, जब तक कि उसे बाँधा न जाए।
अनियमित रूप से की गई कड़ी मेहनत से कही बेहतर है नियमित रूप से की गई थोड़ी सी भी कोशिश, जो अनुशासन से ही आती है। आप अपने समाज में अक्सर देखते है कि जिन बच्चों को बिना अनुशासन के और खुब आजादी देकर पाला जाता है, वे आमतौर पर बड़े होकर न तो अपनी इज्जत करते है, न ही माँ-बाप का और न ही समाज की परवाह करते है।
दोस्तों !,,, अब एक सोचने वाली बात यह है कि "अनुशासन और पछतावा " दोनों ही दुःखदायक है। ज्यादातर लोगों को इन दोनों में से किसी एक को चुनना होता है। अब आप ही बताइए दोनों में कौन ज्यादा तकलीफदेह है ?
आपकों ज़िन्दगी में यह चुनाव करना है कि आप अनुशासन की क़ीमत चुकाएँगे या अफ़सोस की। मेरे ख्याल से अनुशासन ही उत्तम विकल्प होगा। क्योंकि यही मार्ग सर्वोत्तम लक्ष्य तक ले जाएगी।,,,,,
Nice
ReplyDeleteThanks,,,💐💐💐
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