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ज़िन्दगी में चुनौतियों का सामना क्यों और कैसे करें ?

ज़िन्दगी में चुनौतियों का सामना क्यों और कैसे करें ?

दोस्तों ! हमारी ज़िन्दगी सिर्फ मौज मस्ती का नाम नहीं है। इसमें दुःख और निराशा का भी सामना करना पड़ता है। हमारे जीवन में ऐसी घटनाएँ भी घटती है, जिनके बारे में हमने सोचा तक नहीं होता है। कई बार हर चीज उल्टा-पुल्टा हो जाती है। अच्छे लोगों के साथ भी बुरी घटनाएँ घट जाती है।


कुछ समस्याएँ हमारे काबू से बाहर होती है, जैसे कि अपाहिज होना, या शरीर में कोई जन्मजात विकृति होना। हम अपने माँ-बाप या पैदा होने के वक़्त के हालात को तो नहीं चुन सकते। यदि तक़दीर ने हमारे साथ नाइंसाफ़ी की है, तो मुझे अफ़सोस है। परन्तु ऐसा हो ही गया है, तो अब हम क्या करेंगे- चीखेंगे-चिल्लाएंगे या तक़दीर की चुनौती को स्वीकार करते हुए आगे बढ़ेंगे? यही चुनाव स्वयं हमको करना है।

किसी झील में आपको सैकड़ो नावें तैरती दिखाई देगी। उस समय जरा गौर कीजिएगा कि हर नाव अलग-अलग दिशा में जा रही होती है। हवा के एक ही दिशा में बहने के बावजूद नावें अलग-अलग दिशा में जा रही होती है। क्यों ? इसलिए कि उनमें पाल को उसी ढंग से लगाया जाता है, और इसका फैसला नाविक करता है। यही बात हमारी ज़िंदगी में भी लागू होता है। हम हवा के बहाव की दिशा तो नहीं चुन सकते, परन्तु पाल लगाने का ढंग चुन सकते है।

सेहत, ख़ुशी और सफलता, हर इंसान के जूझने की क्षमता पर निर्भर होती है। बड़ी बात यह नहीं है कि हमारी ज़िंदगी में क्या घटित होता है, बल्कि यह है कि जो घटित होता है, हम उसका सामना कैसे करते है।

दोस्तों !,,, अपने हालात को चुनना तो हमेशा हमारे बस में नहीं होता, परन्तु अपना नज़रिया हम हमेशा चुन सकते है। यह हमारा अपना चुनाव होता है कि विजेता की तरह व्यवहार करें, या पराजित की तरह। हमारी क़िस्मत हमारे मुकाम से नहीं, बल्कि मिज़ाज से तय होती है। जरा सोचिए कि इंद्रधनुष के बनने के लिए बारिश और धूप दोनों की जरुरत होती है। हमारी ज़िंदगी भी कुछ ऐसी ही है। उसमें सुख है, तो दुःख भी है, अच्छाई है, तो बुराई भी है, और उजाला है, तो अँधेरा भी है। जब हम मुसीबत का सामना सही तरीके से करते है, तो और भी मजबूत बन जाते है। हम अपनी जिंदगी की सभी घटनाओं पर तो नियंत्रण नहीं कर सकते, पर उनसे निपटने के तरीके पर हमारा नियंत्रण जरूर होता है। इसलिए अगर हालात बिगड़ जाएँ, तो यह हम पर निर्भर होता है कि उनका सामना जिम्मेदारी से करें, या गैरजिम्मेदारी से रेंगते हुए करें।,,,,




2 comments:

  1. Bina chunauti ka is life me kuchh nhi milta.Iske bhuktbhogi hai hum

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