मेरे जाने के बाद ! मेरा क्या होगा ?
मेरे जाने के बाद परिवार, समाज और शहर कितने दिन तक कमी महसूस करेगा ? क्या थोड़ी देर पाठ करके, भिक्षुकों को भोज कराकर, अखबार में पुण्यतिथि का छोटा सा विज्ञापन देकर, एक रस्म की तरह सिर्फ पुण्यतिथि के दिन लोग मुझे याद करेंगे ?
नहीं, मैं मृत्यु के बाद याद रखा जाना चाहता हूँ, तुरंत गुमनाम नहीं होना चाहता। मुझे यह कतई अच्छा नहीं लगेगा कि मेरे जाने से किसी को कोई फर्क ना पड़े। मैं चाहता हूँ कि दुनिया लंबे समय तक मेरी कमी महसूस करे। दोस्त तो दोस्त, दुश्मन भी आसानी से भुला ना सकें।
इसकी व्यवस्था तो आज से ही करनी होगी। इसलिए हर पल खुद से प्रश्न कर रहा हूँ कि याद रखे जाने के लिए कैसे कार्य करूँ, किनसे कैसा व्यवहार करूँ ?
मैं जानता हूँ कि इसके लिए अपने दिल के दरवाजे खोलकर कुछ पल दूसरों के लिये जीना होगा। लीडरशिप दिखाकर समाज और शहर के लिए कुछ ऐसे कार्य करना होगा जो मील का पत्थर बन जाऍं।
यदि ज्यादा बड़े सपने ना भी हों तो कम से कम इतना तो करूँ कि परिवार याद रखें। माता- पिता हर जन्म में हमारे जैसी संतान की कामना कर सकें, हमारा जीवन साथी हर जन्म में हमें पाना चाहे और हमारी संतान हमें रोल मॉडल मानें। हर आम आदमी जिंदगी का लक्ष्य बनाता है, एक अच्छे सोंच वाले बनकर आप मरने के बाद का लक्ष्य बनाकर देखिए, जीने में मजा आने लगेगा।
खुद से वादा कीजिए कि मैं भीड़ की तरह नहीं मरूँगा, खास की तरह जीकर ख़ास की तरह विदा लूँगा और खास की तरह मरने के बाद भी याद रखा जाऊँगा।
जरूर पढे : अच्छी पुस्तकों को साथी बनाकर रखें!
👌
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