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जीवन की उत्पत्ति के सम्बन्ध में वान हेलमॉन्ट तथा फ्रंसिस्को रेडी का मजेदार प्रयोग ।

जीवन की उत्पत्ति के सम्बन्ध में वान हेलमॉन्ट तथा फ्रंसिस्को रेडी का मजेदार प्रयोग ।

पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति कब और कैसे ? यह एक रोचक प्रश्न है। इसके संबंध में प्राचीन काल से अब तक अनेकों संकल्पनाएँ एवं विचार प्रस्तुत किये गए है, जो जीवन की उत्पत्ति की व्याख्या करते है।

इस विषय पर वान हेलमॉन्ट (1580-1644) ने अरस्तू के दिए हुए स्वतः जननवाद के समर्थन में दो प्रमुख प्रयोग किए-

एक प्रयोग में उन्होंने दर्शाया कि पसीने से भीगा कपड़ा तथा गेहूँ की बालियों को एक साथ रखने पर 21 दिनों के बाद में चूहे उत्पन्न हो जाते है। दूसरे प्रयोग में उन्होंने दर्शाया कि दो ईंटो के बीच तुलसी रखकर उन्हें धूप में रखने पर उनमें बिच्छू उत्पन्न हो जाते है। अर्थात उनके अनुसार नये जीवों की उत्पत्ति स्वतः हुई है।

परन्तु इस तर्क से अनेको शिक्षाशास्त्रियों में असहमति रही। फिर फ्रंसिस्को रेडी (1626-1697) ने अपने प्रयोगों के माध्यम से स्वतः जननवाद के सिद्धांत का खंडन किया।

रेडी ने 3 बोतलों में जंतुओं का उबला हुआ मांस रखा और उनमें से एक बोतल को कॉर्क से, दूसरे बोतल को कपड़े से बंद कर दिया परन्तु तीसरे बोतल को खुला छोड़ दिया। कुछ दिनों बाद खुले मुँह वाली बोतल में कीड़े उत्पन्न हो गए तथा कपड़े से बंद की गयी बोतल के ऊपर भी कीट उत्पन्न हुए लेकिन वे जीवित नहीं रह पाए। इन दोनों के विपरीत कॉर्क से बंद की गयी बोतल में कोई कीट उत्पन्न नहीं हुआ।

इससे रेडी ने यह निष्कर्ष निकाला की मांस से कीट स्वयं उत्पन्न नहीं होते बल्कि मक्खियाँ जब मांस पर अंडे देती है, तभी ऐसा संभव हो पाता है। अर्थात किसी भी नये जीवो की उत्पत्ति के लिए जीवित आधारीय पदार्थो की परम आवश्यकता होती है। और स्वतः जननवाद का सिद्धांत यहाँ गलत साबित होता है।

आगे पढे : Carotene तथा Xanthophyll क्या है ?



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