क्या ईश्वर की प्रार्थना से हमें आत्मशक्ति मिलती है ?
प्यारे दोस्तों ! प्रार्थना में अदभुत शक्ति होती है। प्रार्थना विचारों को शुद्ध करके मन को प्रफुल्लित कर देती है। प्रार्थना से दो लोगों का जीवन सँवरता है। एक उनका जीवन जिनके लिए आप प्रार्थना करते है और दूसरा जीवन स्वयं आपका। वास्तविकता तो यह है कि प्रार्थना से मन सकारात्मक ऊर्जाओं से भर उठता है।

अपने ईश्वर की प्रार्थना करने के लिए यह जरुरी नहीं है कि हम मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा या चर्च ही जायें अथवा दिया, अगरबत्ती, मोमबत्ती जलाएँ। प्रार्थना के लिए यह भी जरुरी नहीं कि शत प्रतिशत एकांत स्थान हो। प्रत्येक व्यक्त्ति का प्रार्थना का अपना तरीका होता है। सच्चे मन से आप जब किसी का भला चाहते है, वह प्रार्थना हो जाती है। आप उस परमशक्ति के सामने अपना मन खोलकर रख देते है, वह प्रार्थना हो जाती है। आप आस्तिक है या नास्तिक, इससे भी प्रार्थना का विशेष सरोकार नहीं है। आप बिना स्वार्थ के किसी के लिए दुआ करते हैं, वह भी प्रार्थना हो जाती है।
यदि आप प्रतिदिन प्रातःकाल प्रार्थना करते हुए एकाग्र होकर मन से ईश्वर से आशीर्वाद माँग लें, गलतियों की क्षमा माँग ले, परिस्थितियों से लड़ने की शक्ति माँग लें, दूसरों की मदद करने की योग्यता माँग लें तो आप आंतरिक रूप से बेहद शक्तिशाली महसूस करेंगे।
अब जरा स्वयं से प्रश्न कीजिए कि :-
क्या आप प्रार्थना करते है ? क्या आप प्रतिदिन प्रार्थना करते है या सिर्फ मुश्किल क्षणों में ?
दोस्तों ! सच तो यह है कि अधिकांश लोग प्रार्थना मुश्किल की घड़ियों में ही करते है। परन्तु वे यह भूल जाते है कि यदि प्रार्थना पहले ही की होती तो यह विपत्ति आती ही नहीं। आप प्रतिदिन थोड़ा सा वक़्त निकाल कर अपने अपने आराध्य की प्रार्थना करें। आप यक़ीनन आत्मशक्ति से तृप्त हो जाएँगे। और आपके इर्द- गिर्द स्वतः सुख, शांति एवं आनन्द का विशाल वातावरण बन जाएगा। अपने ईश्वर पर आस्था रखें, नियमित प्रार्थना करते रहें जो आपके जीवन में निरंतर सुकर्म का मार्ग प्रकाशित करता रहेगा। और अंततः वह मार्ग उपहार स्वरूप एक सफल जीवन प्रदान करेगा।,,,
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