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दृढ विश्वास कैसे उत्पन्न होता है ?

दृढ विश्वास कैसे उत्पन्न होता है ?

दोस्तों ! जिन लोगों में दृढ विश्वास की कमी होती है, वे बीच का रास्ता अपनाते है। जरा सोचिए कि सड़क के बीचोंबीच चलने वालों का क्या दशा होता है?,,, लोग उन्हें कुचलते हुए आगे बढ़ जाते हैं। दृढ विश्वास न रखने वाले लोग किसी बात पर अड़ नहीं पाते। आत्मविश्वास और साहस की कमी की वजह से वे लोगों के साथ में बने रहने के लिए उनका साथ निभाते रहते हैं। वे उनकी सोहबत यह जानते हुए भी कबूल कर लेते है कि वे गलत कर रहे है।

कुछ लोग खुद को यह सोचकर बेहतर मानते है कि वे गलत काम का समर्थन नहीं करते। परन्तु उनमें विरोध करने का साहस नहीं होता। किसी काम के गलत होने के अहसास के बावजूद उसका विरोध न करना, दरअसल उस काम का समर्थन करना ही है।

सफलता पाने का एक अहम राज़ यह है कि किसी बात के विरोध में रहने के बजाए, किसी बात के समर्थन में रहो। इस तरह हम समस्या के नहीं, बल्कि समाधान का हिस्सा बन जाते हैं। याद रखिए, किसी बात पर टिके रहने के लिए दृढ विश्वास की जरुरत होती है।

अब दोस्तों, सवाल यह है कि दृढ विश्वास उपजता कैसे है? ,,,, कर्म के बिना आस्था एक भटकाव बन जाती है। आस्था चमत्कारों का इंतज़ार नहीं करती, बल्कि चमत्कारों को जन्म देती है।

हमारी ज़िंदगी में बुरे लम्हे आते है। हम सभी गिर कर चोट खाते है। ऐसे पल हम सभी की जिंदगी में आते है, जब हमें खुद पर अविश्वास हो जाता है, और हम खुद पर रहम खाने लगते है। असली बात यह है कि ऐसी भावनाओ से उभर कर अपनी आस्था को फ़िर कैसे कायम किया जाए। क्योंकि सीधी सी बात है कि दृढ विश्वास आस्था से उपजता है।


2 comments:

  1. बहुत बहुत अच्छा सर जी

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